रूद्र ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक ज्योतिषाचार्य सुनील कुमार मिश्र ने कहा कि कुछ ग्रहों के भी केन्द्राधिपति दोष लगता है जैसे लघु पाराशरी के अनुसार जब किसी ग्रह को एक केंद्र एवं एक मारक भाव का स्वामित्व प्राप्त हो तो उस ग्रह को केन्द्राधिपति दोष लगता है । केन्द्राधिपति दोष नैसर्गिक शुभ ग्रहो को ही लग सकता है जिसमे से सबसे अधिक दोष गुरु को ,गुरु से कम शुक्र को,शुक्र से कम दोष बुध को एवं बुध से कम दोष चन्द्रमा को लगता है ।
1- मेष लग्न मे शुक्र को दितीयेश एवं सप्तमेश होने के कारण केन्द्राधिपति दोष लगता है ।
2- मिथुन लग्न मे गुरु को सप्तमेश एवं दशमेश होने के कारण केन्द्राधिपति दोष लगता है ।
3-कन्या लग्न मे गुरु चतुर्थेश और सप्तमेश होने के कारण केन्द्राधिपति दोष लगता है ।
4- तुला लग्न मे मंगल को दितीयेश और सप्तमेश का स्वामित्व प्राप्त है परंतु नैसर्गिक पाप ग्रह होने के कारण मंगल को केन्द्राधिपति दोष नही लगता है ।
5- वृश्चिक लग्न मे शुक्र को सप्तमेश (मारकेश और केंद्रश )होने के कारण केन्द्राधिपति दोष लगता है ।
6- धनु लग्न मे बुध को सप्तमेश एवं दशमेश होने के कारण केन्द्राधिपति दोष लगता है परन्तु बुध पापी नही होना चाहिए ।
7-मकर लग्न मे चन्द्रमा को सप्तमेश और केंद्रेश होने के कारण केन्द्राधिपति दोष लग सकता है परंतु यह निर्धारण करना आवश्यक है कि वह पक्षबली होने के कारण शुभ है अथवा अशुभ ।
8-मीन लग्न मे बुध के चतुर्थेश और सप्तमेश होने के कारण केन्द्राधिपति दोष लगता है परंतु यहाँ बुध पापी नही होना चाहिए ।
केंद्राधिपति दोष मे ग्रह शुभ फल नही दे पाते है अर्थात सम हो जाते है शुभ फल प्रदायक नही रहते है
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